5 SIMPLE TECHNIQUES FOR HANUMAN CHALISA

5 Simple Techniques For hanuman chalisa

5 Simple Techniques For hanuman chalisa

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Bhagat Kabir, a prominent writer from the scripture explicitly states that Hanuman isn't going to know the full glory from the divine. This assertion is within the context in the Divine as remaining endless and at any time increasing.

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jaladhiJaladhiOcean lānghi gaye Lānghi gayeJumped acharajaAcharajaSurprised nāhīNāhīNo This means: Keeping the ring of Lord Rama in your mouth, you leapt the ocean to Lanka, there's no surprise in it.

व्याख्या – श्री हनुमान जी को उनकी स्तुति में श्री लक्ष्मण–प्राणदाता भी कहा गया है। श्री सुषेण वैद्य के परामर्श के अनुसार आप द्रोणाचल पर्वत पर गये, अनेक व्यवधानों एवं कष्टों के बाद भी समय के भीतर ही संजीवनी बूटी लाकर श्री लक्ष्मण जी के प्राणों की रक्षा की। विशेष स्नेह और प्रसन्नता के कारण ही किसी को हृदय से लगाया जाता है। अंश की पूर्ण परिणति अंशी से मिलने पर ही होती है, जिसे श्री हनुमन्तलाल जी ने चरितार्थ किया।

व्याख्या – मैं अपने को देही न मानकर देह मान बैठा हूँ, इस कारण बुद्धिहीन हूँ और पाँचों प्रकार के क्लेश (अविद्या, अस्मिता, राग, द्वेष एवं अभिनिवेश) तथा षड्विकारों (काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, मत्सर) से संतप्त हूँ; अतः आप जैसे सामर्थ्यवान् ‘अतुलितबलधामम्‘ ‘ज्ञानिनामग्रगण्यम्‘ से बल, बुद्धि एवं विद्या की याचना करता हूँ तथा समस्त क्लेशों एवं विकारों से मुक्ति पाना चाहता हूँ।

Progressive: Hanuman is described as somebody who consistently faces quite challenging odds, exactly where the adversary or conditions threaten his mission with selected defeat and his very existence. Yet he finds an progressive way to show the percentages. For example, right after he finds Sita, delivers Rama's concept, and persuades her that he's in fact Rama's legitimate messenger, He's uncovered because of the jail guards.

. शिव चालीसा लिरिक्स के सरल शब्दों से भगवान शिव को आसानी से प्रसन्न होते हैं

manaManaMind / believed kramaKramaActions / deed vachanaVachanaWords dhyānaDhyānaMeditate / ponder jo lāvaiJo lāvaiWho retains / applies Which means: Lord Hanuman releases from afflictions, sufferings and difficulties for many who try to remember/meditate him in feelings, phrases and deeds.

जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई ॥३४॥ और देवता चित्त न धरई ।

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व्याख्या– राजपद more info पर सुकण्ठ की ही स्थिति है और उसका ही कण्ठ सुकण्ठ है जिसके कण्ठपर सदैव श्री राम–नाम का वास हो। यह कार्य श्री हनुमान जी की कृपा से ही सम्भव है।

सत्संग के द्वारा ही ज्ञान, विवेक एवं शान्ति की प्राप्ति होती है। यहाँ श्री हनुमान जी सत्संग के प्रतीक हैं। अतः श्री हनुमान जी की आराधना से सब कुछ प्राप्त हो सकता है।

As while in the Indian tradition, Hanuman is the patron of martial arts and an example of braveness, fortitude and excellence in Thailand.

छूटहि बन्दि महा सुख होई ॥३८॥ जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा ।

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